Tilak Mehta भी अन्य Teenager की तरह ही है। 13 वर्ष का आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा जिसने रच दिया इतिहास। Courier सेवाओं को आसान बनाने का लक्ष्य रखा। तभी तो 2018 में अपने स्टार्टअप Papers N Parcels को launch किया।
- इसने सबको “सिद्ध कर दिया कि उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है”।
- इसकी कहानी जानकर आप भी कह उठेंगे कि वाकई में यह एक आंठवा अजूबा है।
- खिलौने खेलने की उम्र में खेल रहा है पैसों से।
- यह बालक आज सारे युवाओं के लिए Inspiration बन गया है।
- यह एक सबसे बड़ा enterpreneur बन गया है ।
- इसके नाम एक अद्भुत Award भी है, youngest enterpreneur का।
आइए जानते है, यह कहानी की शुरुआत कैसे हुई थी –
यह कहानी शुरू होती है, एक इतफाक से। Maths की Test के 2 दिन पहले तिलक अपनी Maths की किताब अपने uncle के यहां भूल आया था। जो उसे उसी दिन चाहिए थी। किन्तु, उसके पापा ने कहा कि एक दिन में किताब चाहिए थी तो courier में 250-300 रुपए देने होंगे जितने में एक नई किताब आ जाती। तब ही उसने सोचा कि हर कोई तो इतना पैसा दे नहीं सकता तो क्यों ना में Company स्टार्ट करूं। जिसमे में कम से कम रुपए में parcel deliver हो और अधिक से अधिक व्यक्ति इसका लाभ उठा सके।
अब चलिए जानते है, की अपने सपने को पूरा कैसे किया – Tilak mehta ने।
बच्चों की बातों को ज़्यादातर नज़रअंदाज़ किया जाता है – यह तो आप जानते ही है। असली कहानी शुरू होती है, अब। तिलक ने अपने Idea को कई लोगों को बताया था। किन्तु, 13 साल का नादान बच्चा समझ कर हस पड़े थे। तभी एक बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख को इस विषय में बताया। तिलक का Idea सुन कर बैंक अधिकारी ने अपनी नौकरी छोड़ दी और CEO का काम करें लगे।
शहर के डब्बेवालों की मदद ली अपने सपने को सच करने के लिए लग गया।
जानिए कैसे किया Tilak mehta ने सबसे हट कर काम किया।
इस courier कंपनी की ऐप भी है, जिसे बनाने के लिए तिलक को लगभग 8 महीने लगे।
वह रात को Meeting Attend करते, सुबह को School जाते और शाम को खेलते।
ऐसे में वह बहुत ही ज़्यादा थक जाते किन्तु, वह जानते है कि थकावट तो कुछ समय के लिए है। परन्तु, इस थकावट का नतीजा सबसे हट कर होगा।
तिलक मेहता की कंपनी एक ही दिन में 1000+ पार्सल पोहोचांती वो भी जिस दिन order मिले उसी दिन। इसके पीछे एक ज़बरदस्त Trick इस्तेमाल की गई है। इस कंपनी का एक व्यक्ति लगभग दिन में 100 जितने पार्सल आसानी से Deliver करता है। यह system 63 circles में divide किया गया है। जिससे Worker को ज़्यादा महनत नहीं करनी पढ़ती है।
- तिलक मेहता के परिवार वालों ने उसकी काफी सहायता की।
- उनके पिता का अटूट विश्वास उसे इतना आगे लाया।
- अब आप जान गए होंगे कि, Nothing is impossible in this world।
- जब एक बालक मेहनत करके इतना आगे आ सकता है, तो आप क्यों नहीं।
- यह कंपनी की सुविधा सिर्फ मुंबई में ही है।
- इससे यह भी सिद्ध होता है, की हमेशा बच्चों के Marks उनका Results नहीं Decide करते है।